Monday 29 October 2018

काली मिर्च के औषधीय गुण


काली मिर्च एक ऐसा मसाला है जिसे लगभग हर रसोई घर में इस्तेमाल किया जाता है. काली मिर्च के औषधीय गुण के कारण ही इसको कईं दवाइयां बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. अधिकतर लोग काली मिर्च का इस्तेमाल घरों में व्यंजनों का स्वाद बढाने के लिए करते हैं. लेकिन इसके आयुर्वेदिक गुणों के चलते इसे आयुर्वेदिक औषधि के रूप में भी जाना जाता है. वनस्पति विशेषज्ञ के अनुसार जब काली मिर्च पूरी तरह से पक जाती है तो इसका तीखापन अपने आप ही कम हो जाता है. बवासीर जैसे लोगों के लिए काली मिर्च एकमात्र रामबाण उपाय है. पेट के रोगों के लिए भी काली मिर्च का सेवन करना उपयोगी है. इस लेख में हम आपको काली मिर्च के औषधीय गुण बताने जा रहे हैं.



लेकिन इस्ससे पहले हम आपको बता दें कि काली मिर्च ना केवल आपके भोजन के स्वाद में चार चाँद लगाती है बल्कि काली इर्च के औषधीय गुण का लाभ उठाना भी बेहद आसान है. काली मिर्च में विटामिन सी, विटामिन ए विटामिन बी-6 और अन्य खनिज तत्व मौजूद होते हैं जो शरीर के कईं रोगों के लिए कारगार साबित होते हैं. टी चलिए जानते हैं आखिर काली मिर्च के औषधीय गुण क्या क्या हो सकते हैं.

 काली मिर्च के औषधीय गुण- सर्दी जुकाम


मौसम के बदलने के साथ ही सर्दी और जुकाम जैसे रोग मनुष्य को घेर लेते हैं. वहीँ काली मिर्च इस सर्दी के लिए सबसे उपयोगी एवं सस्ती दवा साबित हो सकती है. नियमित रूप से काली मिर्च का सेवन करने से सर्दी एवं जुकाम हमसे कौसों दूर  बने रहते हैं.

काली मिर्च के औषधीय गुण- चरम रोग


यदि आपको चरम रोग जैसी शिकायत है तो काली मिर्च का सेवन आपके लिए बेहद असरमंद साबित होगा. इसके इलावा फोड़े फुंसी वाली जगह पर काली मिर्च को घिस कर लगाने से आपको कम समय में आराम  मिलेगा. इसके इलावा काली मिर्च चेहरे पर होने वाले दाग धब्बे एवं कील मुंहासो में भी मददगार है.


काली मिर्च के औषधीय गुण- स्ट्रेस


आज के समय में अधिकतर लोग स्ट्रेस यानी तनाव से जूझ रहे हैं. जिसके चलते उनकी मानसिकता पर अधिक असर पड़ता है. इसके पीछे का कारण उनकी निजी परेशानियाँ या कामकाजी परेशानियाँ भी हो सकती है. लेकिन यदि आप भी स्ट्रेस से पीड़ित हैं तो आपको बता दें कि काली मिर्च स्ट्रेस के लिए सबसे उत्तम आयुर्वेदिक औषधि है जो आपकी सारी टेंशन को दूर रखती है. दरअसल, काली मिर्च में पिपराइन मौजूद होती है और उसमें एंटी-डिप्रेसेंट के गुण होते है. जिस कारण काली मिर्च लोगों की टेंशन और डिप्रेशन को दूर करने में मदद करती है.

काली मिर्च के औषधीय गुण- पाचन शक्ति


काली मिर्च में कईं तरह के विटामिन और खनिज तत्व मौजूद होते हैं जो हमारी पाचन प्रणाली को दरुस्त रखने में सहायक है. शोधकर्ताओं के अनुसार काली मिर्च में पाया जाने वाला पिपेरीने यौगिक कर्क्यूमिन की जैव-उपलब्धता को बीस गुना तक बढ़ा देती है.

काली मिर्च के औषधीय गुण- दांतों के लिए


यदि आपको दांतों से संबंधित कोई समस्या है तो काली मिर्च आपके लिए बेहद उपयोगी साबित होगी. आपको बता दें कि मसूड़ों में दर्द होने पर काली मिर्च का सेवन किया जा सकता है. इससे आपको बहुत जल्दी आराम मिल जाएगा. इसके इलावा आप काली मिर्च, मुजाफल उर सेंध नामक के साथ मिला कर चूर्ण तैयार करके मिश्रण को सरसों के तेल की बूंदों के साथ मिला कर दांतों और मसूड़ों पर लगा कर दांत साफ़ कर सकते हैं. इससे ना केवल आपके दांतों में चमक आएगी बल्कि दर्द भी दूर हो जाएगा.


एलोवेरा के लाभ



एलोवेरा को आम तौर पर घृतकुमारी  के नाम से भी जाना जाता है. यह एक प्रकार की आयुर्वेदिक औषधि है जिसके फायदों की लिस्ट हमारी सोच से कईं गुना ऊपर है. एलोवेरा के पत्तों में एक जेल के समान पदार्थ मौजूद होता है जिसमे विटामिन , विटामिन बी 1, विटामिन बी 2, बी 3 और अन्य पौष्टिक खनिज तत्व मौजूद होते हैं जो कईं तरह के रोगों को जड़ से मिटाने के काम आते हैं. एलोवेरा के लाभ एभाद चमत्कारी साबित होते हैं जिनका हमारी सेहत कोई कोई नुक्सान नहीं है. आयुर्वेद ग्रंथ में एलोवेरा को गुणों का भंडार कहा गया है. यह हमारी स्किन को कोमल और चमकदार बनाता है. आज के इस लेख में हम आपको एलोवेरा के लाभ बताने जा रहे हैं जिनसे शायद आप पहले से वाकिफ नहीं होंगे.





बता दें इस फ़ास्ट फॉरवर्ड समय में एलोवेरा का उपयोग दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. कईं बड़ी नामी गिरामी कंपनिया एलोवेरा के लाभ देखते हुए इनका इस्तेमाल अपने उत्पादों में कर रही हैं. वहीँ बात भारत देश की करें तो इसका इस्तेमाल भारत के हर कोने कोने लोग सदियों से करते रहे हैं. हालाँकि एलोवेरा के पौधे की लगभग 200 से भी अधिक प्रजातियाँ हैं लेकिन इनमे से केवल 5 प्रजातियाँ ही ऐसी हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है

एलोवेरा के लाभ निम्नलिखित हैं-


 एलोवेरा के लाभ- सनबर्न में उपयोगी


एलोवेरा में सूर्य की हानिकारक किरणों से लड़ने की शक्तिशाली चिकित्सक क्षमता होती है. यह एक एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है और त्वचा पर नमी बरकरार रखता है. घर से बाहर निकलते समय त्वचा पर एलोवेरा जेल लगाने से आपको सनबर्न की शिकायत महसूस नहीं होगी. इसके लिए एलोवेरा का इस्तेमाल एक मॉश्चराइजर के रूप में भी किया जा सकता है.


एलोवेरा के लाभ- बालों के लिए


आज के समय में लंबे बालों की चाहत हर लड़की रखती है. लेकिन कमजोरी और अधिक कारणों के चलते उन्हें घने और लंबे बाल नहीं मिल पाते. लेकिन एलोवेरा बालों के लिए सबसे उपयोगी मानी गयी है. बता दें कि यह बालों के pH संतुलन को बनाए रखती है जिससे बालों के पोषण में बढ़ावा होता है. इसके इलावा नियमित रूप से एलोवेरा जेल के बालों में इस्तेमाल से रूसी और खुजली जैसी समस्याएं भी जड़ से मिट जाती हैं.


एलोवेरा के लाभ- वज़न घटाने के लिए


फ़ास्ट फ़ूड और जंक फ़ूड ने आज की युवा पीढ़ी को बिमारियों के घेरे में ला कर रख दिया है. ऐसे में कोलेस्ट्रोल का संतुलन बिगड़ जाता है और व्यक्ति मोटापे का शिकार हो जाता है. लेकिन यदि आप वजन को घटाना चाहते हैं तो एलोवेरा आपके लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा. यह आपके शरीर में उर्जा को बढाता है और पाचन प्रणाली को दरुस्त रख कर आपके वज़न में कमी लाता है. 

एलोवेरा के लाभ- कब्ज़ के लिए


कब्ज़ या बवासीर जैसी बिंरियां आज कल हर दुसरे व्यक्ति को घेरे हुए है. कब्ज़ किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है. गर्भवती महिलायों के लिए कब्ज़ खतरे की घंटी है इससे उनकी डिलीवरी में बाधा सकती है. कब्ज़ को दूर करने के लिए एलोवेरा के रस का सेवन बेहद मददगार साबित होता है. वहीँ छोटे बच्चों को कब्ज़ में हींग और एलोवेरा का रस मिला कर उनकी नाभि के चारों और लगाने से उन्हें राहत मिलती है.

Friday 19 October 2018

लव कुश कांड

लव कुश कांड- Love Kush Kand

हिंदू धर्म में रामायण काफी प्रचलित है. रामायण के कुल 7 कांड हैं जिनमे भगवान राम के 14 साल के लिए माता कैकयी द्वारा बनवास का हुकुम मिला था. जिसके बाद उनके छोटे भाई लक्ष्मण और सीता माँ उनके साथ बनवास के लिए रवाना हो गए. अपना यह बनवास काल उन्होंने घने जंगलों में कईं कठिन परिस्थियों में व्यतीत किया. इसी बीच दुष्ट राक्षस रावण ने सीता माँ का अपहरण कर लिया. जिन्हें बचाने में हनुमान जी ने राम जी की मदद की. आअज हम आपको सीता माँ के अपहरण के बारे में नहीं बल्कि लव कुश कांड (love kush kand) के बारे में बताने जा रहे हैं.
लव कुश कांड

दरअसल लव कुश रामायण में वर्णित नहीं हैं. लेकिन इनका अध्याय भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना रामायण में राम जी का. सुंदर कांड, बाल कांड, अयोध्या कांड, लंका कांडआदि की तरह ही लव कुश कांड भी बेहद प्रचलित है. तो आईये जानते हैं आखिर लव कुश रामायण में कौन थे और इनका जन्म कब और कहाँ हुआ.
लव कुश कांड- सीता माँ का बाल्मीकि आश्रम रहना
यदि आपको रामयण के विषय में जानकारी है तो आपको भगवान राम और सीता माँ के बारे में बखूबी पता होगा. आपको बता दें कि राम और सीता के दो पुत्र थे जिनका नाम लव और कुश था. तभी से लेकर आज तक luv kush kand को सीता माँ की जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है,भगवान राम के साथ अपने 14 वर्ष के बनवास के बाद जब सीता माँ अयोध्या लौटी तो वह दोनों ख़ुशी ख़ुशी वहीँ रहने लगे. उस समय लोगों की धारणा थी कि यदि कोई महिला एक दिन भी अपने पति से दूर रहती तो उसे घर से हमेशा के लिए निकाल दिया जाता था. ऐसे स्त्रीयों ने सीता माँ का उदाहरन देते हुए उन्हें भी अयोध्या से बाहर निकालने को कहा. श्री राम के कानो में जब यह बात पहुंची तो वह सोच में पड़ गए. जिसके कारण सीता माँ ने स्वयं घर छोड़ने का फैसला कर लिया. वह अयोध्या छोड़ कर बल्मीकि जी के आश्रम में रहने लगी और एक सामान्य स्त्री की तरह अपना जीवन व्यतीत करने लगी.


लव कुश कांड- लव कुश का जन्म
आश्रम रहते रहते ही सीता माँ को अनुभव हुआ कि वह बच्चे को जन्म देने वाली हैं. ऐसे में उनका अयोध्या से कोई संपर्क नहीं था तो उन्होंने अपने बच्चे के पालन पोषण की जिम्मेदारी खुद निभाने की सोची. इसी बीच उन्होंने एक सुंदर बालक को जन्म दिया जिसका नाम लव रखा गया. लोक कथाओं के अनुसार सीता माँ ने एक साथ दो पुत्रों को जन्म दिया लेकिन रामायण में इसका कोई जिक्र नहीं मिलता. लव के जन्म के बाद सीता माँ का पूरा दिन लव के पालन पोषण में बीतने लगा. एक दिन सीता माँ आश्रम से बाहर किसी काम के लिए गई. उन्होंने बाल्मीकि जी को लव की देखभाल करने को कहा. परंतु सीता माँ ने देखा कि बाल्मीकि जी व्यस्त हैं तो वह चुप चाप लव को अपने साथ ले गयी. जब बाल्मीकि जी ने लव को आश्रम में नहीं पाया तो वह चिंतित हो गए. उन्होंने सोचा कि लव को किसी जंगली जानवर ने खा लिया है. ऐसे में वह सीता माँ के लौटने पर उन्हें क्या जवाब देंगे.

लव कुश कांड- कुश का जन्म
बाल्मीकि जी ने लव की गैर-उपस्तिथि में एक घास पर मंत्र तंत्र करके एक नया लव बना दिया. उन्होंने सोचा कि सीता माँ के लौटने पर वह इस लव को सीता माँ के हवाले कर देंगे. लेकिन जब सीता माँ लौटी तो उनके साथ असली लव को देख कर वह द्दंग रह गए और दुसरे पुत्र के जन्म के बारे में सारा सच बता दिया. जिसके बाद से उस पुत्र का नाम कुश रखा गया. तभी से love kush ramayan के कांडो का एक अहम हिस्सा बन गए.

जिगोलो मार्केट

जिगोलो मार्केट, यहाँ मर्दों की लगती है बोली

जिगोलो मार्केट: जिस्मफरोशी का धंधा भारत देश को दिनों दिन खोखला करता जा रहा है. बात अगर देश की राजधानी दिल्ली की करें तो यहाँ ऐसी कईं जगहें है, जिनके बारे में बहुत से लोग अनजान है. ख़ास बात यह है कि इन जगहों में रात के बाद जाना खतरनाक समझा जाता है. आज हम आपको दिल्ली की जिगोलो मार्केट (gigolo market in delhi) के बारे में बताने जा रहे हैं. यह मार्किट मर्दों के लिए श्राप से कम नहीं है यहाँ रात 10 बजे के बाद जाना मर्दों के लिए अच्छा नहीं समझा जाता. दरअसल, दिल्ली की इस जिगोलो मार्किट में मर्दों की बोली लगा कर उन्हें बेचा जाता है. इन मर्दों को बड़े घरानों की औरतें एक रात मन बहलाने के लिए खरीदती हैं और बदले में उन्हें मोटी रकम देती हैं.


जिगोलो मार्केट एड्रेस — Gigolo Market in Delhi Address India
आपको बता दें कि दिल्ली में (Gigolo Market in Delhi Address India ) रात दस बजे के बाद सरोजनी नगर, लाजपत नगर, पालिका मार्किट, कमला मार्किट ऐसी जगहें हैं जहाँ जिगोलो मार्किट की मंडी सजाई जाती है. इस gigolo market in delhi में जो मर्द जिस्म बेचने को तैयार हो जाते हैं, उन्हें “जिगोले” कहा जाता है. एक आंकड़े के अनुसार इस मार्किट में जिगोलो का दाम 1800 रुपए पर नाईट से शुरू होता है और 3 हज़ार या इससे अधिक रुपयों की बोली लगा कर महिलाएं इन्हें खरीदती हैं. आपको बता दें कि देश में जिस्मफरोशी के धंधे में महिलायों से भी अधिक पुरुषों की गिनती शामिल है.
जिगोलो मार्किट का काला सच — Gigolo Market 2018
आपको बता दें कि दिल्ली के जिगोलो का एक ख़ास ड्रेस कोड होता है. जो महिलाएं मर्द खरीदना चाहती हैं, उन्हें वह कोड पहले से बता दिया जाता है. Gigolo Market 2018 के रूल्स के अनुसार हर जिगोला अपने गले में रुमाल या पट्टा पहनता है. इनके रुमाल का साइज़ इनके प्राइवेट अंगो की लंबाई दर्शाता है. गौरतलब है कि दिल्ली के जिगोलो का गोर्ख धंधा अब केवल जिगोलो मार्केट तक ही संभव नहीं रहा बल्कि बड़े बड़े होटल में भी अब जिगोले मोहैया करवाए जाते हैं.

चमगादड़

चमगादड़ के अशुभ लक्षण

चमगादड़ शुभ या अशुभ: चमगादड़ एक स्तनधारी प्राणी है जो अक्सर रात में देखा जाता है. यह पेड़ पर उल्टा लटकते हैं और जानवरों का मांस एवं खून पीते हैं. Chamgadar के दांत बेहद नुकीले होते हैं यह एक बार जसी जीव से चिपक जाते हैं, तो उसका खून पीकर ही उसको छोड़ते हैं. चमगादड़ शुभ या अशुभ , दोनों ही संकेत देता है. ऐसी मान्यता है कि जिस घर में चमगादड़ घुसे उसकी जल्द ही मृत्यु हो जाती है. इसके इलावा कुछ लोगों का यह मानना है कि चमगादड़ के नजर आने से घर में धन की बरसात शुरू हो जाती है और खुशियाँ आने लगती है. आज हम आपको चमगादड़ के शुभ या अशुभ संकेत बताने जा रहे हैं जो आपको भी हैरत में डाल देंगे. 

चमगादड़ के अशुभ लक्षण

चमगादड़ के अशुभ लक्षन रात के अँधेरे जितने ही भयानक होते हैं. जानवरों का मांस खाकर और उनका खून पी कर जिंदा रहने वाले chamgdar यदि किसी व्यक्ति के घर में प्रवेश कर जाते हैं तो उसके घर में बुरी घटनाएं घटित होना शुरू हो जाती है. ज्योतिष शास्त्र और वास्तुशास्त्र में चमगादड़ का घर में घुसना सबसे अशुभ माना जाता है. कुछ लोगों के अनुसार चमगादड़ के घर में प्रवेश करने से कईं प्रकार की नकारात्मक शक्तियाँ भी घर में प्रवेश कर जाती है. इसके इलावा चमगादड़ मृत आत्माओं के साए जैसे होते हैं. चमगादड़के घर में घुसने से घर में क्लेश की संभावना बनी रहती है और खुशियाँ घर से कौसों दूर भाग जाती है. वास्तु शास्त्र के अनुसार चमगादड़ के गढ़ प्रवेश से घर सुनसान बनने लगता है और एक एक करके सभी सदस्य उस घर को त्याग देते हैं. चमगादड़ का घर में घुसना मौत का संकेत कहलाता है. 
चमगादड़ का घर में आना मौत का संकेत

वास्तु शास्त्र के अनुसार चमगादड़ का घर में आना मौत का संकेत देता है. इससे ना केवल घर में नकारात्मक उर्जा प्रवेश करती है बल्कि सबकी खुशियों को ग्रहण सा लग जात है. हालांकि लोगो की इस धारणा में कितनी सच्चाई और कितनी नहीं, अभी तक कोई इस राज़ से पर्दा नहीं उठा पाया है. वहीँ वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो चमगादड़ के पंखों में बेहद हाटक बैक्टीरिया पाए जाते हैं जो इंसान के लये जानलेवा साबित हो सकते हैं. 
चमगादड़ के घर में प्रवेश को कुछ लोग शुभ भी मानते हैं. दरअसल ऐसी मान्यता है कि जंहा चमगादड़ो का वास होता है वहां धन की कमी नहीं होती. यदि किसी इंसान के घर में चमगादड़ का वास हो तो उस घर में कभी धन की कमी नहीं हो सकती. इसके इलावा आपको बता दें कि चमगादड़ सालों तक जीवित रहते हैं इसलिए चीन में इनका इस्तेमाल कईं दवाईयां बनाने के लिए किया जाता है. 

मांगलिक दोष


मांगलिक दोष के लक्षण
ज्योतिष शास्त्रो के अनुसार कई बार ऐसा भी देखा गया है की की लोग मांगलिक भी होते हैं लेकिन सवाल ये है की आप कैसे जानेंगे की आप मांगलिक हैं कि नहीं। आज हम आपको इसके बारे में आपको बताने वाले हैं क्योंकि इंसान के कुछ लक्षणो से पता लगाया जा सकता हैं कि आपमें मांगलिक दोष के लक्षण हैं कि नहीं। बता दें की लाल किताब में दो तरह के मंगल के बारे में वर्णन किया गया हैं, पहला मंगल बद और दूसरा मंगल नेक होता हैं। बताया जाता है की मंगल बद का देवता जिन्न और नेक के देवता हनुमान जी हैं। इसके अलावा आपको यह भी बता दें कि इस लाल किताब में मंगल बद वाले व्यक्तियों के बारे में विस्तार से बताया गया हैं।
लाल किताब के मुताबिक मंगल का सबसे ज्यादा असर आंखों में होता है। लाल किताब के मुताबिक यदि आपकी आंखें सीधा देखते वक्त उसकी पुतलियां उपर उठी हो तो आप मांगलिक है और ज्यादा उठी हुई हो तो मंगल का असर आपके ऊपर बहुत ज्यादा है।



  • मांगलिक व्यक्ति जुबान के बहुत कड़वे होते हैं और बहुत लोगों को उनकी बोली अच्छी नहीं लगती हैं, उनके बोलने से लोगों के दिल दुखते हैं और ऐसे लोग स्वतंत्र विचारधारा के होते हैं लेकिन ये दिल के बहुत कोमल होते हैं।
  • मंगल बद वाले व्यक्ति किसी का बुरा करने के बारे में नहीं सोचते हैं लेकिन यदि ये किसी का बुरा करने पर उतर आए तो फिर उसे छोड़ते नहीं हैं। ये खुद को ज्ञानी, ध्यानी और शक्तिशाली समझते हैं और इसलिए ये ज्यादा किसी से घुल-मिल नहीं पाते हैं।
  • ये लोग अपने व्यवहार और सिद्धांत की वजह से ज्यादा सफल नहीं हो पाते हैं। लेकिन यदि ये अपने व्यवहार में परिवर्तन लाये तो ये सफल हो सकते हैं, इन्हें अपने आंखों में सफेद या काला सुरमा लगाते रहना चाहिए और जीवन भर हनुमानजी की आराधना करनी चाहिए।
मांगलिक दोष के लक्षण

  • मांगलिक दोष के लक्षण का सबसे ज्यादा असर आंखों में नजर आता हैं और आंखों की पुतलियां उपर की ओर ज्यादा झुकी होती है।
  • यदि मंगल बहुत ज्यादा अशुभ हो तो बड़े भाई के ना होने की संभावना प्रबल मानी जाती हैं।
  • यदि भाई हो भी तो उनसे दुश्मनी होती है।
  • बच्चे को जन्म देने में तमाम तरह की अड़चनें आती हैं और यदि बच्चा पैदा हो जाए तो उसकी मौत होने का खतरा बना रहता है।
  • मांगलिक दोष के लक्षण होने पर एक आंख से दिखाई देना बंद हो जाता हैं।
  • शरीर के जोड़ काम नहीं करते हैं और रक्त की कमी या अशुद्धि हो जाती है।
  • कुंडली के चौथे और आठवें भाव में मंगल अशुभ माना जाता हैं।
  • किसी भी भाव में यदि मंगल अकेला हो तो पिंजरे में बंद शेर की तरह होता है।
  • सूर्य और शनि मिलकर मंगल बद बन जाते हैं।
  • यदि मंगल के साथ केतु हो तो अशुभ माना जाता हैं।
  • इसके अलावा मंगल के साथ बुध के होने पर भी अच्छा फल नहीं मिलता है।
मांगलिक दोष की निशानी

  • बता दें की मंगल नेक सेनापति का स्वभाव रखता है और आपको बता दें की ऐसा व्यक्ति हर परिस्थिति में न्यायप्रिय और ईमानदार होता है।
  • ऐसे व्यक्ति साहसी, शस्त्रधारी व सैन्य अधिकारी बनते है या किसी कंपनी में लीडर या फिर श्रेष्ठ नेता।
  • मंगल अच्छाई पर चलने वाला ग्रह है लेकिन यदि मंगल को बुराई की ओर जाने की प्रेरणा मिले तो यह इससे पीछे नहीं हटता हैं और यही उसके अशुभ होने का कारण है।
  • सूर्य और बुध मिलकर शुभ मंगल बनते हैं।
  • दसवें भाव में मंगल का होना शुभ होता हैं।
मांगलिक दोष के उपाय
  • जिस व्यक्ति का मंगल बद है उसे निरंतर हनुमानजी की आराधना करनी चाहिए।
  • यदि मंगल खराब स्थिति में हो तो सफेद रंग का सूरमा आंखों में लगाना चाहिए।
  • घर से बाहर गुड खाकर ही निकले।
  • अपने पिता और गुरु का हमेशा सम्मान करें।
  • अपने भाई और मित्रों से हमेशा मधुर संबंध रखना चाहिए।
  • क्रोध से दूरी बनाकर रखे।

शिव तांडव


शिव तांडव स्त्रोत के लाभ
देवो के देव महादेव को कहा जाता हैं और महादेव का सबसे बड़ा भक्त रावण था। जिसने अपनी कड़ी तपस्या से महादेव को प्रसन्न किया था, ऐसे में भगवान शिव के परम भक्त लंकाधिपति रावण ने एक स्रोत की रचना की जिसे शिव तांडव स्तोत्र कहा जाता है। आपको बता दें की रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इस स्रोत के श्लोक का 1000 वर्षो तक पाठ किया था और तब जाकर भगवान शिव रावण से प्रसन्न हुये थे और रावण को उसके सारे कष्टो से मुक्ति दे दी और रावण के द्वारा जाप किए हुये इसी श्लोक को शिव तांडव स्तोत्र कहते हैं।

शिव तांडव स्तोत्र
जटा टवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्‌।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिव: शिवम्‌ ॥१॥
जटाकटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।
धगद्धगद्धगज्ज्वल ल्ललाटपट्टपावके किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम: ॥२॥
धराधरेंद्रनंदिनी विलासबन्धुबन्धुर स्फुरद्दिगंतसंतति प्रमोद मानमानसे।
कृपाकटाक्षधोरणी निरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्विगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥
जटाभुजंगपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा कदंबकुंकुमद्रव प्रलिप्तदिग्व धूमुखे।
मदांधसिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे मनोविनोदद्भुतं बिंभर्तुभूत भर्तरि ॥४॥
सहस्रलोचन प्रभृत्यशेषलेखशेखर प्रसूनधूलिधोरणी विधूसरां घ्रिपीठभूः।
भुजंगराजमालया निबद्धजाटजूटकः श्रियैचिरायजायतां चकोरबंधुशेखरः ॥५॥
ललाटचत्वरज्वल द्धनंजयस्फुलिंगभा निपीतपंच सायकंनम न्निलिंपनायकम्‌।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसंपदे शिरोजटालमस्तुनः ॥६॥
करालभालपट्टिका धगद्धगद्धगज्ज्वल द्धनंजया धरीकृतप्रचंड पंचसायके।
धराधरेंद्रनंदिनी कुचाग्रचित्रपत्र कप्रकल्पनैकशिल्पिनी त्रिलोचनेरतिर्मम ॥७॥
नवीनमेघमंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर त्कुहुनिशीथनीतमः प्रबद्धबद्धकन्धरः।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिंधुरः कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥८॥
प्रफुल्लनीलपंकज प्रपंचकालिमप्रभा विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌।
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥९॥
अखर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥१०॥
जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुरद्ध गद्धगद्विनिर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्।
धिमिद्धिमिद्धि मिध्वनन्मृदंग तुंगमंगलध्वनिक्रमप्रवर्तित: प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥११॥
दृषद्विचित्रतल्पयो र्भुजंगमौक्तिकमस्र जोर्गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः।
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥१२॥
कदा निलिंपनिर्झरी निकुंजकोटरे वसन्‌ विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌ कदा सुखी भवाम्यहम्‌ ॥१३॥
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥१४॥
प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्‌ ॥१५॥
इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथागतिं विमोहनं हि देहिनांं सुशंकरस्य चिंतनम् ॥१६॥
पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं यः शम्भूपूजनपरम् पठति प्रदोषे।
तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥१७॥
॥ इति रावणकृतं शिव ताण्डवस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

ऐसी मान्यता हैं कि एक बार रावण अपने बल का प्रदर्शन करने के लिए पूरे कैलाश पर्वत को उठा लिया था और पूरे कैलाश पर्वत को वह लंका ले जाना चाहता था लेकिन भगवान शिव ने अपने पैर के अंगूठे मात्र से ही दबा कर कैलाश को स्थिर कर दिया था और इसी पर्वत के नीचे रावण का हाथ दाब गया और वह दर्द से चीख उठा- शंकर-शंकर अर्थात क्षमा करिए-क्षमा करिए और भगवान शिव की स्तुति करने लगा। इसी स्तुति को ही शिव तांडव स्तोत्र कहा जाने लगा| ऐसा कहा जाता हैं कि इस स्रोत से प्रसन्न होकर शिव जी ने लंकाधिपति को रावण नाम दिया था| रावण के बारे में बहुत सारी कथाएँ शास्त्रो में प्रचलित हैं।
ऐसा कहा जाता हैं कि इस पृथ्वी का सबसे बड़ा ज्ञानी रावण ही था लेकिन अपने अहंकार के चलते ही वो आपकी ज्ञानता को अज्ञानता में परिवर्तित कर देता था। इसके अलावा यह भी कहा जाता हैं कि जब राम ने रावण को युद्ध में पराजित करके उसे मार डाला और वह जब मृत्यु शैया पर लेता था तब राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को उसके पास शिक्षा लेने के लिए भेजा और कहा कि इस पृथ्वी का सबसे बड़ा विद्वान इस दुनिया से जा रहा हैं, अर्थात रावण के पतन और उसके मृत्यु का कारण सिर्फ उसका अपना अहंकार ही था वरना यदि रावण अहंकारी नहीं होता तो वो शायद कभी नहीं मरता।
शिव तांडव स्तोत्र के लाभ
  • शास्त्रो के मुताबिक शिव तांडव स्तोत्र पढ़ने और सुनने मात्र से ही इंसान के सारे पाप धूल जाते हाँ और उसकी हर मनोकामना पूरी होती हैं| बता दें कि शिव तांडव स्तोत्र में इतनी शक्ति हैं कि आपकी हर बड़ी परेशानी को दूर कर सकती हैं।
  • शिव भगवान को प्रसन्न करने के लिए शिव तांडव स्तोत्र बहुत खास स्तुति हैं, यह स्रोत भगवान शिव के सबसे बड़े भक्त रावण ने रचा हैं और यह स्तुति पंचचामर छंद में है।
शिव तांडव स्तोत्र का पाठ कब और कैसे करें
  • प्रातः काल या प्रदोष काल में इसका पाठ करना सर्वोत्तम माना जाता हैं।
  • पहले भगवान शिव को प्रणाम कर उन्हें धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
  • इसके बाद शिव तांडव स्तोत्र का पाठ गाकर करे।
  • यदि आप इसका पाठ नृत्य के साथ करें तो यह सर्वोत्तम होगा।
  • पाठ के बाद भगवान शिव का ध्यान करें और अपनी प्रार्थना करें और ऐसा करने से आपकी सारी मनोकामना पूरी हो जाएगी।