Friday 15 February 2019

हरिद्वार के दर्शनीय स्थल


हरिद्वार भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है. यह हिन्दुओं की सबसे पवित्र जगह मणि गई है. उत्तराखंड में बसे हरिद्वार के दर्शनीय स्थल के दर्शन करने हर साल लाखों भक्त आते हैं. मान्यता है कि हरिद्वार भगवान तक पहुँचने का एक मार्ग है. ऐसे में जो भी बक्त यहाँ शुद्ध मन और आस्था से दर्शन करता है, उसकी हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है. हरिद्वार की गंगा नदी का पानी पाप धोने के लिए जाना जाता है. यदि आप अपने परिवार के साथ कहीं हॉलिडे मनाने का प्लान बना रहे हैं तो हरिद्वार आपके लिए सबसे उत्तम दर्शनीय स्थलों साबित हो सकता है. तो चलिए जानते हैं हरिद्वार के दर्शनीय स्थल की कुछ ऐसी ख़ास जगहों के बारे में, जहाँ पहुँच कर आपकी यात्रा मंगलमय हो जाएगी.

चंडी देवी मंदिर

हरिद्वार के दर्शनीय स्थल में चंडी का मंदिर भारत का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है. यह नील पर्वत के शीर्ष पर स्तिथ है. हर साल यहाँ नवरात्रि और कुंभ का मेला लगता है जिसे देखने के लिए लाखों लोग आते हैं. मान्यता के अनुसार जो भी भक्त यहाँ आता है उसकी तमाम तरह की इच्छाएं पूर्ण हो जाती है. इसके इलावा इस मंदिर को हरिद्वार का सिद्ध पीठ भी माना गया है.

मनसा देवी मंदिर

हरिद्वार के दर्शनीय स्थल में चंडी देवी मंदिर के बाद मनसा देवी मंदिर काफी प्रसिद्ध है. यह मंदिर बिलवा पर्वत के ऊपर स्तिथ है. बता दें कि यह मंदिर हरिद्वार से लगभग 4.5 किलोमीटर की दूरी पर स्तिथ है. इस मंदिर तक पहुँचने के लिए उड़न-खटोलों का इस्तेमाल किया जाता है. यह मंदिर हिंदू धर्म के शक्तिपीठों में से एक है. मान्यता है कि यहाँ आने वालों भक्तों के सभी दुःख स्वयं मनसा माँ हर लेती है.

माया देवी मंदिर

हरिद्वार के दर्शनीय स्थल का माया देवी मंदिर प्राचीन शक्तिपीठों में से एक है. यह मंदिर 11 वीं सदी में बनाया गया था. मान्यता के अनुसार यहाँ भगवान शिव की पत्नी सती की मृत्यु के बाद जब वह उनका शव लेकर ब्रह्मांड का चक्कर लगा रहे थे तो उनका दिल यहाँ पर गिर गया था. तब से लेकर लाखों श्रद्धालु यहाँ माया देवी के दर्शनों के लिए आते हैं.

नीलकंठ महादेव मंदिर

नीलकंठ मंदिर हरिद्वार के दर्शनीय स्थल में से प्रमुख मंदिर है. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. कहा जाता है कि भगवान शिव ने सागर मंथन के दौरान यहाँ जहर पीया था जिसके कारण उनका पूरा कंठ अर्थात गला नीला हो गया था. तब से इस मंदिर को नीलकंठ का नाम दिया गया है.


Monday 4 February 2019

पावागढ़ शक्तिपीठ


हिंदू धर्म में मंदिरों का विशेष महत्व है. इन्ही में से आज हम आपको गुजरात की पहाड़ियों पर बसे पावागढ़ शक्तिपीठ यानि पावागढ़ मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. काली माता का यह मंदिर उनके शक्तिपीठों में से एक माना गया है. बता दें कि शक्तिपीठ का अर्थ उस पूजा स्थल से है, जहाँ सदियों पहले सती माँ के शरीर के अंग गिर गए थे. मान्य के अनुसार सती माँ ने पिता दक्ष के यज्ञ में अपमानित होने के बाद अपने प्राण त्याग दिए थे. तब भगवान शिवशंकर गुस्से में तांडव करते हुए उनका शरीर ब्रह्मांड के चारों और लेकर भटक रहे थे. इसी दौरान सती माँ के शरीर के कुछ अंग गिरते चले गए जिन्हें आज शक्तिपीठों के नाम से जाना जाता है. इन्ही में से बात अगर पावागढ़ शक्तिपीठ की करें तो इसी स्थान पर सती माँ के दाहिने पैर की अंगुली गिरी थी.


कहा है पावागढ़ शक्तिपीठ?

बता दें कि मह्काली का पावागढ़ शक्तिपीठ गुजरात के पंचमहल जिले में पहाड़ी पर बना हुआ है. यह धरती से लगभग 550 मीटर की ऊंची पहाड़ीपर मौजूद है. इस पहाड़ी की शुरुआत प्राचीन गुजरात की राजधानी चंपानेर से होती है. मंदिर तक जाने के लिए रोप वे की सुविधा दी गई है. यहाँ हमे पैदल यात्रा करके मंदिर तक पहुँचने के लिए लगभग 250 सीढियां चढ़नी होती हैं.

पावागढ़ मंदिर के नाम का सच


दुर्गम पर्वत पर बसे पावागढ़ शक्तिपीठ पर पहुँचने के लिए कईं तरीके हैं लेकिन प्राचीन काल में इस पर्वत की चढ़ाई लगभग असंभव थी. दरअसल यह पर्वत चारों ओर से खाईयों से घिरा हुआ है साथ ही ऊँचाई के कारण यहाँ हवा का वेग भी ज्यादा रहता है. शायद यही वजह है जो इस स्थल का नाम पावागढ़ शक्तिपीठ रख दिया गया. यानि इस जगह पर पवन अर्थात हवा का वास हमेशा एक जैसा ही रहता है. इस मंदिर के नीचे चंपानेर नगरी है जिसे बहुत समय पहले वनराज चावड़ा ने अपने बुद्धिमान मंत्री के नाम पर बसाया था.

कैसे पहुंचे पावागढ़ शक्तिपीठ?

पावागढ़ शक्तिपीठ मंदिर में हर साल लाखों भक्त माँ काली के दर्शन करने आते हैं. नवरात्रि पर इस मंदिर में भारी भीड़ जमा होती है. यदि आप इस शक्तिपीठ को देखना चाहते हैं तो इसके लिए वायु मार्ग या सडक मार्ग का चुनाव कर सकते हैं. इसके लिए आप अहमदाबाद एयरपोर्ट से यहाँ आ सकते हैं. इसके इलावा यदि आप रेल मार्ग का चयन करें तो वडोदरा का रेल स्टेशन यहाँ पहुँचने के लिए उत्तम है. वडोदरा पहुंचने के बाद आप सड़क यातायात के सुलभ साधन चुन सकते हैं.