हिंदू
धर्म में मंदिरों का
विशेष महत्व है. इन्ही में से आज हम आपको गुजरात की पहाड़ियों
पर बसे पावागढ़ शक्तिपीठ यानि पावागढ़ मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. काली माता का यह मंदिर उनके शक्तिपीठों में से एक माना गया है. बता दें कि शक्तिपीठ का अर्थ उस पूजा स्थल से है,
जहाँ सदियों पहले सती माँ के शरीर के अंग गिर गए थे. मान्य
के अनुसार सती माँ ने पिता दक्ष के यज्ञ में अपमानित होने के बाद अपने प्राण त्याग
दिए थे. तब भगवान शिवशंकर गुस्से में तांडव करते हुए उनका
शरीर ब्रह्मांड के चारों और लेकर भटक रहे थे. इसी दौरान सती
माँ के शरीर के कुछ अंग गिरते चले गए जिन्हें आज शक्तिपीठों के नाम से जाना जाता
है. इन्ही में से बात अगर पावागढ़ शक्तिपीठ की करें तो इसी
स्थान पर सती माँ के दाहिने पैर की अंगुली गिरी थी.
कहा है पावागढ़ शक्तिपीठ?
बता दें
कि मह्काली का पावागढ़ शक्तिपीठ गुजरात के पंचमहल जिले में पहाड़ी पर बना हुआ है. यह धरती से लगभग 550 मीटर की ऊंची पहाड़ीपर मौजूद है. इस पहाड़ी की शुरुआत प्राचीन गुजरात की राजधानी चंपानेर से होती है. मंदिर तक जाने के लिए रोप वे की सुविधा दी गई है.
यहाँ हमे पैदल यात्रा करके मंदिर तक पहुँचने के लिए लगभग 250 सीढियां चढ़नी होती हैं.
पावागढ़ मंदिर के नाम का सच
दुर्गम
पर्वत पर बसे पावागढ़ शक्तिपीठ पर पहुँचने के लिए कईं तरीके हैं लेकिन प्राचीन काल
में इस पर्वत की चढ़ाई लगभग असंभव थी. दरअसल यह पर्वत चारों ओर से खाईयों से घिरा हुआ है साथ ही ऊँचाई के कारण
यहाँ हवा का वेग भी ज्यादा रहता है. शायद यही वजह है जो इस
स्थल का नाम पावागढ़ शक्तिपीठ रख दिया गया. यानि इस जगह पर
पवन अर्थात हवा का वास हमेशा एक जैसा ही रहता है. इस मंदिर
के नीचे चंपानेर नगरी है जिसे बहुत समय पहले वनराज चावड़ा ने अपने बुद्धिमान
मंत्री के नाम पर बसाया था.
कैसे पहुंचे पावागढ़ शक्तिपीठ?
पावागढ़ शक्तिपीठ मंदिर में हर साल लाखों
भक्त माँ काली के दर्शन करने आते हैं. नवरात्रि पर इस मंदिर में भारी
भीड़ जमा होती है. यदि आप इस शक्तिपीठ को देखना चाहते हैं तो
इसके लिए वायु मार्ग या सडक मार्ग का चुनाव कर सकते हैं.
इसके लिए आप अहमदाबाद एयरपोर्ट से यहाँ आ सकते हैं. इसके
इलावा यदि आप रेल मार्ग का चयन करें तो वडोदरा का रेल स्टेशन यहाँ पहुँचने के लिए उत्तम है. वडोदरा पहुंचने के बाद आप सड़क यातायात
के सुलभ साधन चुन सकते हैं.
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